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Akhand Jyoti
Year 1949
Version 2
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December 1949
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जो ईश्वर को जानते हैं वे नम्र होते हैं परन्तु जो अपने को जानते हैं वे भी अभिमानी नहीं हो सकते।
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Page Titles
यह सम्बंध अटूट
जीवन क्या है?
अपनी उत्तम कल्पनाओं को चरितार्थ कीजिए।
मनुष्य का जन्म किसलिए?
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रोटी खाना भी एक कला है।
विश्वास करो।
प्रत्येक वस्तु सुख देने वाली।
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जीवन लक्ष प्राप्त करने के दो साधन
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मनुष्य की आयु कल्पना
भगवान महावीर की वाणी
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महिलाओं का कर्त्तव्य और उत्तर और दायित्व
चलो, स्वर्गधाम में प्रवेश करो।
रोगी या निरोग रहना आपके अपने हाथ की बात है।
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गायत्री साधना से अनेकों प्रयोजनों की सिद्धि
कृपा कर अधिक बाल बच्चे उत्पन्न न कीजिए।
है पुरुष, पुरुषार्थ कर तू
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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