निरन्तर शिक्षा प्राप्त करो।

July 1945

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(जोसेफ मेजिनी)

तुम शिक्षा पाने के योग्य हो, तुममें से प्रत्येक में आत्मिक शक्तियों और मानसिक विकासों का एक ऐसा पुँज है जिसमें केवल शिक्षा ही प्राण डाल सकती और उसको उत्तेजित कर सकती है। शिक्षा के बिना वे सारी शक्तियाँ न केवल दबी रहेंगी, किन्तु निकम्मी हो जायेंगी। या यदि प्रकट होंगी तो कुसमय और नियम विरुद्ध, जिनसे लाभ के स्थान में और हानि होगी।

शिक्षा ही आत्मा का भोजन है, जिस प्रकार हमारे शरीर और इन्द्रिय बिना प्राकृतिक भोजन के न बढ़ सकते हैं और न स्थिर रह सकते हैं, उसी प्रकार हमारा आत्मिक और मानसिक जीवन भी फैलने और विकास पाने के लिए विज्ञान के विशाल समुद्र में शिक्षा के पोत को चाहता है।

हमारा जीवन एक पुष्प के समान है। भूमि वही है, एक ही प्रकार का खाद सबको दिया जाता है, परन्तु प्रत्येक पुष्प जाति अपनी भिन्न-भिन्न आकृति, छवि और स्वभाव रखता है। प्रत्येक मनुष्य मानव जाति का एक अंग है, जीवन को जातीय जीवन से पुष्ट करता है और बढ़ाता है यह पुष्टि और वृद्धि का काम शिक्षा के द्वारा पूर्ण होता है, जो जातीय और सामाजिक उन्नति के परिणाम को साक्षात या एक दूसरे के द्वारा प्रत्येक मनुष्य तक पहुँचा देती है।

अतएव तुम्हारे वास्तविक जीवन के लिये शिक्षा एक आवश्यक वस्तु ही नहीं है, वरन् अपने सजातीय भाइयों के साथ, उन पूर्वजों के साथ जो तुमसे पहले हो चुके हैं, सच्चा सम्बन्ध और पवित्र मेल शिक्षा के बिना तुम उत्पन्न ही नहीं कर सकते। शिक्षा मनुष्य जीवन का आधार है। जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त हमें अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए, शिक्षा के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए।


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