दो उपयोगी रसायनें

July 1945

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अखण्ड-ज्योति के कार्यकर्त्ताओं द्वारा इस वर्ष पर्वतीय वन्य प्रदेशों की यात्रा के समय कुछ अमूल्य जड़ी-बूटियाँ लाई गई हैं। इनके गुण असाधारण और आश्चर्यजनक हैं। इन बूटियों के वैज्ञानिक संमिश्रण से दो रसायनें बनाई गई हैं (1) ओजवर्धक रसायन (2) गर्भपोषक रसायन।

ओजवर्धक रसायन के सेवन का मस्तिष्क और हृदय पर सीधा असर होता है। मस्तिष्क की थकान और कमजोरी दूर होकर एक नवीन चेतना आती है। स्मरण शक्ति, विचार शक्ति, निर्णय शक्ति, दूरदर्शिता, विवेकशीलता, हाजिर जवाबी, सूक्ष्म चेतना तथा बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है। हृदय बलवान होता है, जिससे रक्त संचालन का कार्य सुचारु रूप से होने लगता है। आलस्य, भय, चिन्ता और घबराहट का स्वभाव कम होकर उत्साह, साहस, निर्भयता तथा कार्यकुशलता बढ़ती है। ओज बढ़ने से इन्द्रियों की शक्ति स्थिर रहती है और आयु बढ़ती है। यह रसायन सात्विक गुण वाली है इसलिए सेवन करने वालों का स्वभाव भी सतोगुणी बनता है।

गर्भपोषक रसायन- गर्भवती स्त्रियों के लिए है। इसे सेवन करने से गर्भ की स्थिति उत्तम होती है। जिन स्त्रियों को गर्भपात हो जाता है या बच्चे होकर मर जाते हैं या कमजोर पैदा होते हैं उनके लिए तो यह बड़े काम की चीज है। इस रसायन के पोषक तत्वों के द्वारा गर्भ स्थित बालक पुष्ट हो जाता है। रंग का उज्ज्वल, तेजस्वी, बुद्धिमान, अच्छे स्वभाव का तथा स्वस्थ होता है। यह रसायनें प्रिय पाठक को बिना मूल्य मिलेंगी। सेवन विधि साथ है। यह थोड़ी मात्रा में है इसलिए जरूरत मंद ही मंगावें। एक व्यक्ति को एक ही रसायन मिलेगी।

व्यवस्थापक- ‘अखण्ड-ज्योति’ मथुरा।


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