‘अखण्ड-ज्योति’ सत् ज्ञान, सद्विचार और सत्कार्यों के प्रचार के लिए कार्य करती है। यह महान कार्य परखे हुए त्यागी, तपस्वी, सत्यनिष्ठ, ब्रह्मपरायण, सूक्ष्मदर्शी उद्भट विद्वानों द्वारा होता है। एक बार भी किसी व्यक्ति के हाथ में यहाँ का साहित्य पहुँच जाता है, उसके जीवन में भारी परिवर्तन उपस्थित हो जाता है, उसके विचार और कार्यों में सात्विकता की एक झलक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ने लगती है।
ऐसे पुनीत ज्ञान प्रसार के कार्य में हर एक पाठक को हाथ बटाना चाहिए और इस भार को उठाने में अखण्ड-ज्योति के कार्यकर्त्ताओं के साथ अपना कंधा लगाना चाहिए। जो सत्साहित्य अखण्ड-ज्योति की ओर से प्रकाशित होता है उससे अधिक से अधिक लोग लाभ उठावें इस बात का प्रयत्न उन सभी लोगों को करना चाहिए जो इस उद्ज्ञान में कुछ भी दिलचस्पी, आत्मीयता और श्रद्धा रखते हैं।
जो पाठक इस दशा में अखण्ड-ज्योति की कुछ सहायता करना चाहते हैं उनके सम्मुख हम दो कार्य उपस्थित करते हैं। (1) अपने परिचितों, मित्रों और प्रियजनों से अखण्ड-ज्योति की चर्चा किया कीजिए और उन्हें इस साहित्य को पढ़ने के लिए उत्साहित किया करें। नित्य एक नये आदमी से अखण्ड-ज्योति का परिचय और अपनाने की प्रेरणा की जाय तो एक वर्ष में बहुत कार्य हो सकता है। (2) जिन लोगों में आध्यात्मिकता का अंकुर मौजूद हो ऐसे शिक्षित व्यक्तियों के तथा पुस्तकालयों के पते अखण्ड-ज्योति कार्यालय में भेजें। जिन व्यक्तियों के पते भेजे जायें वे एक ही स्थान के नहीं होने चाहिए। अपना व्यक्तिगत परिचय भले ही न हो पर जिनके विचारों के बारे में परिचय हो उनके पते भेजने चाहिए, चाहे वे कितनी ही दूर के रहने वाले क्यों न हो। यह पते प्राप्त होने पर उन्हें अखण्ड-ज्योति के नमूने तथा प्रेरणा पत्र भेजकर कार्यालय की ओर से उन्हें इस सत्साहित्य को अपनाने के लिए प्रभावित किया जायेगा।
हमें आशा है कि प्रेमी पाठक दोनों कार्यों में सहयोग देकर सद्ज्ञान प्रसार के पुण्य कार्य में हाथ बटावेंगे। तीन पैसे का एक कार्ड खर्च करके आध्यात्मिक व्यक्तियों के और पुस्तकालयों के दस-बीस पते भेजने के लिए हर एक पाठक से हमारा विशेष अनुरोध है।
व्यवस्थापक- ‘अखण्ड-ज्योति’ मथुरा।