भगवान कृष्ण की लीला भूमि मथुरा पुरी में कर्मयोग शिक्षा की व्यवहारिक व्यवस्था

April 1944

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क्या आप यह इच्छाएं करते हैं?

क्या आप बुद्धिमान और सद्गुणी बनना चाहते हैं?

क्या आप अपनी चिन्ता और वेदनाओं से छुटकारा पाना चाहते हैं?

क्या आप संसार में प्रतिष्ठा और आदर पूर्ण उन्नत जीवन जीना चाहतें हैं।

क्या आप अपने परिवार को अपना वशवर्ती बनाना चाहते हैं?

क्या आप इस जीवन में ही स्वर्ग का आनन्द प्राप्त करना चाहते हैं?

क्या आप शत्रुओं के अनिष्ट प्रभाव से बचना चाहते है?

क्या आप कुविचार, कुसंस्कार और बुरी आदतों से छुटकारा पाना चाहतें हैं?

क्या आप अपने कारोबार में अधिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं?

क्या आप अपनी तन्दुरुस्ती और सुन्दरता बढ़ाना चाहते हैं?

क्या आप अपने दुखदायी मानसिक रोगों को मार भगाना चाहते हैं?

क्या आप अपनी बुद्धि तथा प्रतिभा का विकास करना चाहते हैं।

क्या आप मृत्यु के उपरान्त सद्गति की इच्छा करते हैं?

क्या आप सच्चे धर्मात्मा, योगी और ईश्वर भक्त बचना चाहते हैं?

क्या आप दूसरों की कृपा, सद्भावना स्नेह और सहायता चाहते हैं?

क्या आप दुनिया दारी की निकट उलझनों को आसानी से पार करना चाहते हैं?

क्या आप मनुष्यता प्राप्त करके सच्चे अर्थों में मनुष्य-द्विज-बनना चाहते हैं?

यदि उपरोक्त इच्छाओं को पूर्ण करना चाहते हैं तो ‘अखंड ज्योति’ आपकी कुछ व्यावहारिक सहायता कर सकती हैं। ‘कर्मयोग‘ की शिक्षा प्राप्त करने के लिए आप मथुरा आ सकते हैं।

श्री मद्भगवद्गीता द्वारा शिक्षा। शिक्षाक्रम बिलकुल सादा। आचार्य श्रीराम शर्मा के साथ पारिवारिक सदस्य की तरह रहना। शिक्षा की कोई फीस नहीं। भोजन खर्च का 15 रु. मासिक से कम में ही चल जाना। बृज के प्रमुख तीर्थों की यात्रा। रहने के समय की कोई कैद नहीं। तपस्वी जीवन बिताने व अनुशासन में रहना होगा। बिस्तर और थाली लौटा साथ लाना चाहिए। एक समय में अधिक से अधिक 5-7 व्यक्ति रखने की ही व्यवस्था यहाँ है। आने से पूर्व अपना शारीरिक और मानसिक पूरा परिचय भेजकर स्वीकृति प्राप्त कर लेनी चाहिए। बिना स्वीकृति के कोई सज्जन न पधारें।

मैनेजर-अखण्ड-ज्योति, मथुरा।

(घीया मंडी रोड, किशोरी रमन गर्ज्स स्कूल के सामने)


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