ज्ञानियों की प्रशंसा के बजाय ज्ञानवानों की झिड़कियां ठीक हैं। क्योंकि उनकी झिड़की से मनुष्य को अपने दोष का ज्ञान हो जाता है, परन्तु ज्ञान हीन दोषों को भी गुण बतला कर बड़ाई करते रहते हैं जो कि अत्यन्त हानिकारक होती हैं।
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वस्तुतः विद्वान वहीं भाग्यवान होता हैं जो स्वयं सुमार्ग पर चलकर दूसरों को भी सद्-उपदेश देता रहता हैं।