यद्यपि क्षण भर के लिए पैशाचिक शक्तियाँ विजय लाभ करती दिखाई देती हैं, पर वह समय दूर नहीं जब कि ऐसी शक्तियों की विजय का ही डंका बजेगा। जिस तरह निशा के अन्धकार के बाद ऊषा का प्रकाश आता है, वैसे ही आज की मुसीबत के बाद अभिनव आशा का संदेश लिए मानवता के सामने पुरुष प्रमाण आयेगा। पाप का घड़ा जल्दी फूटने को है और संसार में इकट्ठी हुई मलिनता के बढ़ जाने पर सत्य का युग होने ही वाला है।
-रवीन्द्रनाथ टैगोर,