गायत्री-महाविज्ञान का तीसरा खण्ड भी तैयार

April 1951

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हजारों योग ग्रन्थों एवं सिद्ध पुरुषों के अनुभवों का निचोड़

गायत्री महाविज्ञान का तीसरा खण्ड छपकर तैयार हो गया। अध्यात्म विद्या एवं योग साधना के गुप्त रहस्य इस ग्रन्थ में भली प्रकार समझा दिये गये हैं। योग विद्या पर इतनों सर्वांग पूर्ण और प्रामाणिक पुस्तक अन्यत्र मिलना कठिन है। हजारों योग ग्रन्थों, एवं सिद्ध पुस्तकों के अनुभवों का निचोड़ इनमें भरा हुआ है। पुस्तक में दिये हुए विषयों का संक्षित परिचय नीचे जा रहा है, इससे पाठक पुस्तक की उपयोगिता को आसानी से समझ सकते हैं

1-गायत्री के पाँच मूर्खों का रहस्य, 2-गायत्री की दस भुजाओं का मर्म, 3-अत्र मय कोश का विस्तृत परिचय 4 अत्र मय कोश को सिद्ध करने का साधन विधान, 5-उपवासों के अनेक भेद और उद्देश्य, 6 आसनों का सूक्ष्म प्रभाव, 7-प्राण मय कोश का वर्णन, 8-प्राणशक्ति बढ़ाने का वैज्ञानिक मार्ग, 9-पाँच प्राण और उपप्राणों के कार्य, 10-प्राण संयम द्वारा दीर्घ जीवन, 11-अपान वायु पर जननेन्द्रिय का प्रभाव, 12-समान का पाचक क्रिया से सम्बन्ध, 13-उदान द्वारा गुप्त ज्ञान की सिद्धि, 14-व्यान द्वारा ऋतम्भरा प्रज्ञा की प्राप्ति, 15- नाग, कर्म, कृकल, देवदत्त और धान जय उपप्राणों की महान शक्ति, 16-मूल बन्ध, जालन्धर बन्ध और उडियान बन्धों का रहस्य, 17-महामुद्रा, खेचरी मुद्रा, विपरीत करेगी मुद्रा, योनि मुद्रा, शोभित मुद्रा आदि की प्रचण्ड प्राण शक्ति, 18-लोम-विलोम सूर्य भेदन, उज्जायी, शीत्कारी, शीतली मस्त्रिका, भ्रामरी आदि 9 प्राणायामों की विधियाँ, 19- मन को वश में करने वाले अभ्यास, 20- ध्यान करने की 10 साधनाएं, 21-त्राटक द्वारा मैस्मरेजम की वेधक दृष्टि प्राप्त करना, 22- रूप तन्मात्रा की साधना से अहश्य वस्तुओं का देखना

23-छाया पुरुष सिद्ध करने की विद्या? 24-रूप तन्मात्रा द्वारा अहश्य भोजनों की प्राप्ति, 25-स्पर्श तन्मात्रा द्वारा सहनशक्ति की वृद्धि, 26-सोऽहम् महामन्त्र का अजपा जाप, 27-आत्मदर्शन करने की साधना, 28-इड़ा पिंगला और सुषुम्ना की कार्य प्रणाली, 29- स्वर विद्या के रहस्य, 30-ब्रह्म ग्रन्थि, विष्णु ग्रन्थि और रुद्र ग्रन्थियों के खोलने का मार्ग, 31-प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश और आनन्दमय कोश, का विस्तृत परिचय और साधन। 32-सहज समाधि, 33-अनहदनोद और सुरत योग, 34- पक्षी करण विद्या, 35- तुरीयावस्था की स्थिति 36-गायत्री का भयंकर तन्त्र प्रहार, 37-मन्त्र दीक्षा का उद्देश्य, 38-अग्निदीक्षा का प्रयोजन, 39-ब्रह्म दीक्षा का रहस्य, 40-गायत्री मअरी 41-गायत्री का मन्त्रार्थ आदि अनेक आध्यात्मिक विषयों की विवेचना, वैज्ञानिक, प्रामाणिक और अनुभव पूर्ण आधार पर की गई है साथ ही साधना विधि ऐसी अच्छी तरह लिखी गई है जिसे पढ़कर सारी बातें भली प्रकार समझने आ जाती है।

352 पुष्ट, सफेद कागज पर छपी हुई, मोटे कार्ड बोर्ड के दुरंग कवर की इस पुस्तक का मूल्य 3॥ मात्र रखा गया है। गायत्री प्रेमियों के लिए यह पुस्तक अत्यन्त ही उपयोगी है।

हमारा प्रकाशित गायत्री साहित्य

1-गायत्री महाविज्ञान-प्रथम 2॥ )

2-गायत्री महाविज्ञान-द्वितीय भाग 3॥)

3-गायत्री महाविज्ञान-तृतीय भाग 4॥)

उपरोक्त ग्रन्थों का संक्षिप्त छोटा सैट

(1) गायत्री ही कामधेनु है।=), (2) गायत्री का वैज्ञानिक आचार।=), (3) वेद−शास्त्रों का निचोड़ गायत्री।=) (4) गायत्री को सर्व सुलभ साधनाएं (5-6) गायत्री के 14 रत्न (प्र॰भा॰।=), (7) अनादि गुरु मंत्र गायत्री (8) विपत्ति निवारण गायत्री।=), (9) सर्व शक्तिवान गायत्री =)

पता-”अखण्ड ज्योति “ प्रेस, मथुरा।

(देश देशान्तरों से प्रचारित, उच्च कोटि की आध्यात्मिक मासिक पत्रिका)

वार्षिक मूल्य 2॥) सम्पादक - श्रीराम शर्मा आचार्य एक अंक का।)


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