कृपण लोगों को धन से प्रायः कोई भी सुख नहीं मिलता। इस लोक में तो उसके संग्रह ओर रक्षा की चिन्ता लगी रहती है और मरने पर वह (पाप से कमाया हुआ धन) नरक का कारण होता है जिस प्रकार जरा सा भी कोढ़ सर्वांगी सुन्दर रूप को बिगाड़ देता है, इसी प्रकार तनिक सा भी लोभ यशस्वियों के निर्मल यश को और गुणियों के प्रशंसनीय गुणों को कलंकित कर देता है।
-श्रीमद्भागवत
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जिसने इच्छा का त्याग किया उसको घर छोड़ने की क्या आवश्यकता? और जो इच्छा का बंधुआ है उसको वन में रहने से क्या लाभ हो सकता है? सच्चा त्यागी जहाँ रहे वही वन और वहीं भजन कन्दरा है।
-महाभारत,