परलोक में सहायता के लिए माता-पिता, पुत्र, स्त्री और सम्बन्धी कोई नहीं रहते। वहाँ एक धर्म ही काम आता है। मरे हुए शरीर को बन्धु बान्धव काठ और मिट्टी के ढेलों के समान पृथ्वी पर पटक कर घर चले जाते हैं। एक धर्म ही उस के साथ जाता है। -मनुस्मृति।
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पृथ्वी की ओर देखकर पैर रखना, जल को कपड़े से छान कर पीना, वाणी को सत्य से पवित्र करके बोलना, और मन में विचार करने पर जो उत्तम प्रतीत हो वही करना चाहिये।
-श्रीमद्भागवत।