गीत संजीवनी-6

कुल की परम्परा मर्यादा

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कुल की परम्परा मर्यादा
(बेटी की विदाई)
कुल की परम्परा मर्यादा, निभाये जाना बेटी।
अब सास- ससुर घर जाओ, मत रोओ और रुलाओ।
अपने बचपन का संसार, भुलाये जाना बेटी॥
सब काम समय पर करना, चीजें जहँ की तहँ धरना।
अपने उत्तम कर्म, विचार, बढ़ाये जाना बेटी॥
जो दे प्रभु सम्पत्ति भारी, तो भूल न जाना प्यारी।
अपने देश, धर्म हित दान, दिलाये जाना बेटी॥
घर में आ जाये गरीबी, मत धर्म छोड़ना फिर भी।
साहस से अपना काम, चलाये जाना बेटी॥
मत फैशन में पड़ जाना, मत फूहड़पन दर्शाना।
उत्तम गृहिणी का श्रृंगार, सजाये जाना बेटी॥
ये शिक्षा सार बताया, सुख होगा अगर निभाया।
सबको सज्जनता के गीत, सुनाये जाना बेटी॥
मुक्तक-
विदाई दे रहे बेटी, हृदय में टीस भारी है।
तुम्हारे हाथ में कुल की व मर्यादा हमारी है॥
समर्पण भाव से रोशन बनाना नाम इस कुल का।
इसी में स्नेह, सुख, सम्मान व समृद्धि सारी है॥

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