गीत संजीवनी-6

एक रहेंगे- नेक रहेंगे

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एक रहेंगे- नेक रहेंगे
एक रहेंगे नेक रहेंगे, गूँजे नया तराना।
हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, जन- जन का हो गाना॥
नवयुग झाँक रहा प्राची से, मोह निशा को त्यागो।
असुर वृत्ति के अन्धकार को, मेटो! देवों! जागो॥
सत्कर्मों का दौर चलाकर, घर- घर स्वर्ग बनाना॥
ज्ञानयज्ञ की लाल मशाल, जलाओ युग निर्माणी।
जिससे गूँज रही है संत शिरोमणि की युगवाणी॥
झोलों में साहित्य लिए अब, घर- घर में फैलाना।
बनें ज्ञान मन्दिर घर- घर में, ऐसी ज्योति जलानी।
जिससे ले साहित्य पढ़ें सब, और बनें सब ज्ञानी॥
आहुतियाँ दुर्गुण की दें, जीवन को यज्ञ बनाना॥
सीता, अनुसुइया, झाँसी (मीरा) वाली बन जाये नारी।
राणा, शिवा, भगत, गाँधी, फिर संतति बने हमारी॥
भारत के सोये गौरव को, फिर से आज जगाना॥
चलो नया निर्माण करेंगे, मिलकर नूतन युग का।
बढ़ो! सभी साकार करें हम, सपना फिर सतयुग का॥
तप की शक्ति हिमालय से, आती है मत घबराना॥
मुक्तक-
नये युग में मशालें ज्ञान की हमको जलाना है।
हमें गुरुदेव का संदेश जन- जन में सुनाना है।
नया युग अवतरित होगा, नए अन्दाज को लेकर ।।
हमें वातावरण अनुकूल उसके ही बनाना है॥

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