सुनो नारियों भारत माता
सुनो नारियों भारत माता, तुमको रही पुकार।
भारत माँ का सुन्दर सपना, करो तुम्हीं साकार॥
उच्छृंखल हो रहे मनुज से, अब समाज है ऊबा।
आज देश का कोना कोना, है चिन्ता में डूबा।
अनुशासन से हीन हो रहा, सारा देश हमारा।
इस बीमारी ने अब तो है, रूप भयंकर धारा॥
अब अनुशासित सभ्य पीढ़ियाँ, तुम्हीं करो तैयार॥
तुम्हीं प्रथम गुरु हो अनुशासन, का नव पाठ पढ़ाओ।
अपने चिंतन से चरित्र से, नैतिक इन्हें बनाओ॥
भावी कर्णधार जो है वे, अगर सदाचारी हों।
तभी समस्याएँ समाज की, समाधान सारी हों॥
सदाचार है व्यक्ति राष्ट्र की, उन्नति का आधार॥
अपने सेवा भाव स्नेह से, वह परिवार बनाओ।
जिससे राष्ट्र भक्ति से प्रेरित, परिजन तुम दे जाओ॥
हाथ बटाओ निर्माणों में, निर्माणों की बेला।
राष्ट्र सृजन में लगा रहे क्यों, नर ही आज अकेला॥
अपने कर्तव्यों को जानों, पहिचानों अधिकार॥
बिना भावनाओं के कोई, प्रतिभा काम न आती।
नारी ही है जो पौरुष का, सोया भाग्य जगाती॥
आने वाले युग का अब तो, सृजन करेगी नारी।
भारत माता के मन्दिर की, भावों भरी पुजारी॥
क्योंकि वही है समता, ममता, करुणा की आगार॥