सत्संग वो गंगा है सत्संग वो गंगा है, इसमें जो नहाते हैं।
पापी से पापी भी, पावन हो जाते हैं॥
ऋषियों ने मुनियों ने, इसकी महिमा गाई।
सत्संग से ही जीवन है, यह बात है समझाई।
यही वेद बताते हैं, यही ग्रन्थ बताते हैं॥
प्रभु नाम के मोती है, सत्संग के सागर में।
फल ही फल मिलते हैं, इस सुख के सरोवर में।
सत्संग में जो आते हैं, डुबकियाँ लगाते हैं॥
इस तीरथ से बढ़कर, कोई तीरथ धाम नहीं।
दुःख क्लेश का भक्तों, इसमें कोई काम नहीं।
आते हैं सत्संग जो, जीवन को सजाते हैं॥