बच्चों को उत्तराधिकार में धन नहीं गुण दें

ज्ञातव्य

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परिवार एवं समाज के उत्कर्ष के लिए सभी लालायित रहते हैं। युग-निर्माण योजना द्वारा अपने साहित्य में इस विषय के इतने अधिक पहलू अभूत पूर्व गहराई के साथ उभारे गये हैं कि पाठक आश्चर्य मिश्रित हर्ष से भर उठते हैं। दृष्टिकोण साथ हो जाने पर प्रगति स्वाभाविक बन जाती है। यह साहित्य अब प्रस्तुत आकार की बड़ी पुस्तकों के रूप में भी उपलब्ध है। इस 2 रु. मूल्य की श्रृंखला में अब तक प्रकाशित 80 से अधिक पुस्तकों की सूची निम्नानुसार है।

1—गृहस्थ सुख की साधना। 2—नियोजित परिवार सुखी परिवार। 3—सुख का आधार-सुसंस्कृत परिवार। 4—सद्गृहस्थ की साधना। 6—अर्थ अनुशासन सीखिये। 6—भावी पीढ़ी का नव निर्माण। 7—माता-पिता के कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व। 8—बालकों का भावनात्मक निर्माण। 9—नशेबाजी की दूषित दुष्प्रवृत्ति। 10—विवाहोन्माद के असुर से जूझा जाय। 11—अन्ध विश्वास को उखाड़ फेंकिये। 12—रुग्ण समाज और उसका काया कल्प। 13—महाकाल और युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया। 14—भव्य समाज की नव्य रचना। 15—प्रगति के पथ पर। 16—आदर्श विवाहों की रूपरेखा। 17—पर्व और त्यौहारों की सुसंस्कृत पृष्ठभूमि।

नोटइनके अतिरिक्त इसी विषय की 25 पैसे मूल्य की सस्ती पुस्तिकायें बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं।  

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