बच्चों को उत्तराधिकार में धन नहीं गुण दें

लोग कारोबार करते, परिश्रम-पुरुषार्थ करते और जरूरत से कहीं ज्यादा धन-दौलत जमीन-जायदाद इकट्ठी कर लेते हैं। किसलिए? इसलिए कि वे यह सब अपने बच्चों को उत्तराधिकार में दे सकें। बच्चे उनके अपने रूप होते हैं। सभी चाहते हैं कि उनके बच्चे सुखी और समुन्नत रहें, इसी उद्देश्य से वे कुछ न कुछ सम्पत्ति उनको उत्तराधिकार में दे जाने का प्रयत्न किया करते हैं।

किसी हद तक ठीक भी है जिनको कुछ सम्पत्ति उत्तराधिकार में मिल जाती है उनको कुछ न कुछ सुविधा हो ही जाती है। किन्तु यह आवश्यक नहीं कि जिनको धन-दौलत, जमीन-जायदाद उत्तराधिकार में मिल जाए उनका जीवन सुखी ही रहे। यदि जीवन का वास्तविक सुख धन-दौलत पर ही निर्भर होता तो आज भी सभी धनवानों को हर प्रकार से सुखी होना चाहिए था । बहुत से लोग आए दिन धन-दौलत कमाते और उत्तराधिकार में पाते रहते हैं । किन्तु फिर भी रोते-तड़पते और दुःखी होते देखे जाते हैं। जीवन में सुख-शान्ति के दर्शन नहीं होते।

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