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January 1981

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यदि तुम भगवान के साथ निष्कपट भाव से रहना चाहते हो तो विश्व में किसी के भी साथ कपट मत रखो क्योंकि विश्व में वह प्रभु ही तो व्याप्त है। -विवेकानन्द


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