वर्तमान के आँगन में भूत और भविष्यत्

January 1981

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शेफील्ड (ब्रिटेन) के श्री डेनिस होम्स और श्रीमती ईर्टलन होम्स की 18 माह की बच्ची ने एक दिन दीवार की ओर सिर उठाकर देखा और कहा ‘मम्मी’ पिक्चर हॉल। इसके बाद घुटनों के बल आकर वह माँ की गोद में बैठ गयी। लेकिन कुछ ही समय बीता की अचानक उसी दीवारी से एक चौखटे वाली तस्वीर टूट कर जहाँ पहले केसी बैठी हुई थी ठीक वहीं आ गिरी।

इसके नौ महीने बाद होम्स परिवार छुट्टियाँ बिताने के लिए कार से ‘यारमुथ’ जा रहा था। केसी की यह पहली यात्रा थी। यारमुथ से आठ मील दूर पहले सड़क पर एक मोड़ है और जहाँ मोड़ पुरा होता है वहा 6-7 टूटी हुई पवन चक्कियाँ हैं, जो मोड़ पार करने पर ही दिखाई देती हैं। लेकिन मोड़ पुरा होने के पूर्व ही केसी बोल उठी ‘मम्मी, वहाँ पचन चक्कियाँ हैं।’ पत्नी और पति इस बात को सुनते ही अवाक् हो गये। लेकिन उन्होंने इसे निरा संयोग कर टाल दिया।

पर इस अस्वाभाविकता को कब तक मात्र संयोग समझा जाय। मार्च 1973 में एक दिन केसी की बुआ उसे शेफील्ड के सिटी रोड कब्रिस्तान में ले गयीं ताकि वहां वह अपने दादा की कब्र पर फूल चढ़ा सके। सहसा केसी बोल उठी- ‘मेरा दोस्त डेविड भी यहीं दफना है।’ आश्चर्यचकित होकर बुआ ने उसे दिखाने को कहा।

केसी उन्हें कब्रिस्तान के एक ढलवे कोने में ले गयी जहाँ एक पर लिखा था- डेविड सुपुत्र क्यारा और फ्रैंक। मृत्यु 1903 उम्र 18 मास।

केसी से उसके माता-पिता ने काफी पूछा कि उसे डेविड की कब्र का पता कैसे लगा? लेकिन वह बराबर एक संक्षिप्त उत्तर देती रही- ‘मुझे पता था’।

ऐसी क्षमताओं की कल्पना सिद्ध योगियों में जो की जा सकती है, पर नन्हें बालकों में इस तरह की अद्भुत क्षमताओं का प्राकट्य विस्मयकारी तथ्य जान पड़ता है। आत्मविद्या के ज्ञाताओं को इसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं लगता। सृष्टि में जो भी कुछ पैदा होता है चाहे वह जीव-जन्तु पशु-पक्षी मनुष्य हो अथवा वृक्ष वनस्पति शैशव। युवा (प्रौढ़) तथा जरा-अवस्था का सामना सभी को करना पड़ता है। यह विज्ञान सफल प्रक्रिया साधना के क्षेत्र में भी कार्य करती है। साधनाएँ चाहे वह यम नियम प्राणायाम हों या मन्त्र जाप सोऽहम् खेचरी और मुद्रा बन्ध साधनाएँ, सबका उद्देश्य प्राणशक्ति को प्रखर बनाना है। प्रज्ज्वलित प्राण ऊर्जा ही मस्तिष्कीय न्यूरान के लिए विद्युत का काम करते हैं, उसी के सहारे सिद्ध योगी टेलीविजन की तरह चाहे कहीं देखते, कहीं भी सुन लेते हैं। भूत और भविष्य उनके लिए वर्तमान में निवास करते हैं।

जब तक साधना द्वारा उपार्जित प्राण पक न जायें तब तक साधक के दिन जोखिम भरे कसौटी के होते हैं उनके न पकने तक विषय, वासना और तृष्णा, अहंता के वनचरों द्वारा उदरस्थ कर लिये जाने की आशंका तो रहती ही है, कहीं कोई अनुभूति हो तो बाल बुद्धि उसे चमकाकर अपना अहंकार जताने की भूल करके उसे गवाँ सकती है। कदाचित साधना काल में ही किसी की मृत्यु हो जाये तो लोकोत्तर जीवन में प्राण परिपाक क्रिया चलती रहती है वहीं इतर जन्मों की प्रतिभा के रूप में दिखाई देती है।

जब केसी 4 वर्ष की थी, एक दिन श्रीमती होम्स वर्ग-पहेलियाँ हल कर रही थीं। उन्होंने अपने पति से पूछा कि- ‘बी से प्रारम्भ होने वाला पाँच अक्षरों का वह कौन सा शब्द है जिसका अर्थ हवाई जहाज होता है? श्री होम्स तथा उनकी 15 वर्षीय पुत्री ‘जैकलीन’ इस प्रश्न का उत्तर न दे सके। तभी केसी कह उठी ‘ब्लिम्प’। शब्दकोश ढूंढ़ने पर बात सही निकली।

अगस्त 1974 के दूसरे सप्ताह में होम्स परिवार छुट्टी मनाने यारमुथ गया। एक बुधवार को समुद्र के किनारे टहलते हुए केसी कहने लगी ‘आज दादा जी उदास हैं। कोई बुरी घटना घटने वाली है। वह अपने पिता के एक पुराने सहकर्मी श्री ‘वेनराइट’ के बूढ़े पिता को दादाजी कहा करती थी। शनिवार को होम्स परिवार शेफील्ड लौटा। वहाँ उन्हें पता चला कि बुधवार को दादाजी के भाई की मृत्यु हो गई थी।

एक दिन श्रीमती होम्स रसोई घर में काम कर रही थी। तभी केसी वहाँ आयी और बोली- ‘कैसी हो टिच?’ श्रीमती होम्स ने पूछा कि मुझे इस नाम से पुकारने के लिए तुमसे किसने कहा? केसी ने जवाब देने के बदल पूछा- “नानाजी की कमर टेढ़ी थी और वे चपटी टोपी पहनते थे न?” वास्तव में केसी के नानाजी की कमर झुकी हुई थी। वे चपटी टोपी भी पहनते थे तथा केसी की माँ को प्यार से ‘टिच’ कहकर बुलाते थे। लेकिन वे तो केसी के जन्म से 4 वर्ष पूर्व ही मर चुके थे।

अप्रैल 1975 की बात है। वियतनाम युद्ध में अनाथ हुए बच्चों को हवाई जहाज द्वारा अमेरिका में बसाने के लिए लाया जा रहा था। टी.वी. में उसकी खबरें देखते समय केसी ने कहा- ‘बच्चे मर जायेंगे।’ माँ ने कहा ‘हाँ बच्चे भूखों मर रहे हैं।’ लेकिन केसी ने उनकी बात काटते हुए कहा- ‘नहीं जहाज जल रहा है, बच्चे मर रहे हैं।’ दो दिन बाद ही खबर आई कि एक जहाज के गिर जाने के कारण कई बच्चे मर गये।

दूरदर्शन, भविष्य दर्शन को प्रामाणिकता की कसौटी पर कसने के लिए अमेरिका में एक शोध कार्यक्रम बनाया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा संगठन और केन्द्रीय जासूसी संगठन ने इन शक्तियों से युक्त ‘द इंगोस्वान’ एवं ‘पेट प्राइस’ नामक दो व्यक्तियों का परीक्षण किया। यह कार्य स्टेन फोर्ड शोध-संस्थान की प्रयोगशाला में सम्पन्न हुआ। किसी प्रकार के सन्देह की गुंजाइश न रहे इसलिए हैराल्ड पुराफ और रसेल टार्ग नामक दो भौतिकविदों को भी नियुक्त किया गया। इंगोस्वान एवं पेट प्राइस एक स्थान पर बैठकर किसी भी दूरवर्ती स्थान में हो रहे क्रिया-कलाप, स्थान की विशेषताओं का वर्णन उसी प्रकार कर देते थे जैसे प्रत्यक्ष सामने देख रहे हों।

एक प्रयोग पेट प्राइस पर किया गया। वैज्ञानिकों ने पेट प्राइस से कहा कि वह वर्जीनिया के एक गुप्त सैनिक केन्द्र का पूरा विवरण प्रस्तुत करें। कुछ देर ध्यान मग्न के उपरान्त प्राइस ने जो विवरण प्रस्तुत किया उसे सुन कर वैज्ञानिक विस्मित रह गये। उसने इतनी छोटी-छोटी बातों का भी उल्लेख किया जिसकी जानकारी वहाँ रहने वाले अधिकारियों को भी नहीं रहती थी। प्राइस ने कहा कि उक्त सैनिक अड्डे के तलघट के आफिस में दो फाइलें रखी हैं जिनमें एक का नाम है ‘फ्लाइंग ट्रेप’ तथा दूसरी का ‘मिनर्वा’। तलघट के उत्तर की दीवार के साथ लगी अल्मारी पर लिखा है- ‘ऑपरेशन पुल’। उक्त स्थान का नाम प्राइस ने बताया ‘टेस्टाक या हेफार्क’ तलघट के मूर्धन्य अधिकारियों का नाम कर्नल ‘आर.जे. ह्वेमिल्स’, मेजर जनरल जार्जनेश और मेजर ‘जानकलहूम’ बताया। जिस तलघट का विवरण प्राइस ने प्रस्तुत किया वह एक गोपनीय प्रयोगशाला थी जहाँ से सोवियत उपग्रहों की निगरानी रखी जाती थी। विशिष्ट सूत्रों द्वारा मालूम करने पर सभी बातें सही पायी गईं। उपस्थित अधिकारियों ने कहा कि ‘प्राइस तथा स्वान’ कुशल जासूस का कार्य कर सकते हैं। उन्होंने इस कार्य के लिए बड़ी रकम देने का भी आग्रह किया किन्तु दोनों ने यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि ईश्वर प्रस्तुत इस सामर्थ्य का हम दुरुपयोग नहीं कर सकते।

दूरदर्शन, भविष्यदर्शन अतीन्द्रिय सामर्थ्य का एक छोटा-सा पक्ष है। मानवी अन्तराल में प्रचण्ड सामर्थ्य भरी पड़ी है जो सुषुप्तावस्था में विद्यमान रहती है। परमात्मा द्वारा यह सभी को प्राप्त है। आध्यात्मिक पुरुषार्थों द्वारा उन्हें जगाया एवं उच्च स्तरीय कार्यों में प्रयुक्त किया जा सकता है। यह कठिन है, पर असाध्य नहीं। श्रम साध्य है, पर असम्भव नहीं। जितना समय, श्रम एवं मनोयोग भौतिक उपलब्धियों के लिए किया जाता है, उतना ही आध्यात्मिक विभूतियों के लिए किया जा सके तो मनुष्य उन सामर्थ्यों को प्राप्त कर सकता है जिसे सामान्यतया सिद्ध एवं चमत्कार कहा जाता है। भूत-भविष्य दूरदर्शन ही नहीं अन्तरात्मा में परिस्थितियों एवं प्रकृति में हेर-फेर करने की सामर्थ्य भी मौजूद है। आध्यात्मिक पुरुषार्थों की महत्ता समझने एवं उपलब्धियों को करतलगत करने के लिए प्रयत्नशील होना चाहिए।


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