तलहटी में दो गाँव बसे थे (kahani)

January 1981

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

एक ऊंचे पहाड़ की तलहटी में दो गाँव बसे थे। दोनों में यह स्पर्धा बनी रहती थी कि उस पर्वत की सबसे ऊँची जिस चोटी पर अब तक कोई नहीं पहुँच पाया वहाँ हम पहुँचे और बड़ाई पायें।

बहुत दिन तक असफल रहने के बाद एक गाँव के साहसी युवकों ने निश्चय किया कि कुछ भी क्यों न हो जाय, हम सबसे ऊँची चोटी पर पहुँच कर रहेंगे। वे चढ़ते ही चले गये और गन्तव्य स्थान तक जा पहुँचे।

चोटी पर दो कौए पहले से ही बैठे थे। वहाँ इन अजनबी लोगों को पहुँचा देखकर छोटे कौए ने बड़े से पूछा- ‘दादाजी आखिर इन लोगों की अपनी सुन्दर बस्तियाँ छोड़ कर इतनी कष्ट साध्य यात्रा करते हुए आखिर किस कारण आना पड़ रहा है?’

बढ़े कौए ने कहा- ‘बच्चे, यह लोग हैं तो हमारे ही जैसे मन के, पर इन्हें पंख नहीं मिले हैं, इसी से यह बेचारे इतना कष्ट भुगत रहे हैं।’


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles