उत्तरदायित्वों को निभायें, महान बनें

January 1981

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

उत्तरदायित्वों को जो बोझ मानकर उपेक्षा करता है। उस अच्छे परिणामों से वंचित रह जाना पड़ता है। प्रत्येक मानव की आजीविका कमाने में शर्म, संकोच का भाव नहीं रखना चाहिये। आत्म-निर्भरता तो जीवनोत्कर्ष के पथ पर अग्रसर करती है। परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाने का अद्भुत गुण मनुष्य में है। इसलिये अपने प्रत्येक कार्य की पूरी शक्ति से करना चाहिये। प्रत्येक कार्य ईश्वर का है, अतः उसे आत्म समर्पित भाव से करना चाहिये। कार्य में सद्भावना का प्रभाव उज्ज्वल चरित्र निर्माण के विकास के लिये होता है। कार्य करने का सौंदर्य, रुचिकर ढंग सफलता की निशानी है। कार्य की श्रेष्ठता में जीवन की श्रेष्ठता निहित है।

श्री रूजवैल्ट ने संकल्प किया था कि मैं ख्याति के खतरे में नहीं पड़ूंगा। हजारों प्रतिद्वंद्वियों के बीच भी अडिग बने रहे। लिंकन ने वकील से जब झूठे पक्ष की ओर से वकालत करने को कहा, तब वह बोला- ‘‘मैं ऐसा नहीं कर सकता, जूरी से वार्तालाप के बीच मेरा मन मुझे धिक्कारेगा कि लिंकन तुम झूठे हो, झूठे हो।’’

नैथन स्ट्रांस से फर्म की सफलता का रहस्य पूछा गया, तो वह बोले- ‘‘यह परिणाम केवल ग्राहक के प्रति बरती गयी मेरी ईमानदारी है। मुझसे ग्राहक कभी अप्रसन्न होकर नहीं गया।’’ महानता के गुण अन्तःकरण में समावेश हो जाने पर सफलताएं कदम चूमती हैं।

आत्म-विश्वास और परिश्रम के बल पर जीवन को सार्थकता प्रदान की जा सकती है। भाग्य का निर्माणक मनुष्य स्वयं है। ईश्वर निर्णयकर्ता और नियामक है। मनुष्य परिश्रम से चाहे तो अपने भाग्य की रेखाओं को बना सकता है- परिवर्तित कर सकता है। हैनरी स्ल्यूस्टर कहता है कि- ‘‘जिसे हम भाग्य की कृपा समझते हैं, वह और कुछ नहीं। वास्तव में हमारी सूझ-बूझ और कठिन परिश्रम का फल है।” विश्वास रखें परिश्रम और आत्म-विश्वास एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। दोनों मिलकर के ही लक्ष्य तक पहुँचने में समर्थ हो पाते हैं। संकल्प करें-बाधाओं को हमेशा हँस-हँस स्वीकार करना है। डर कर मार्ग से हटाना नहीं है। लक्ष्य विहीन नहीं होना है। हमेशा गतिमान रहना है-गतिहीन नहीं होना है।

अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की लोकप्रियता और सफलता का कारण परिस्थितियों से समझौता है। विकट विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। लेकिन वह अपने विश्वास को प्रबल बनाते गये। आखिर वह अमेरिका के राष्ट्रपति चुन लिये गये।

परिश्रम और सफलता की आशा करते हुए हमें लक्ष्य प्राप्ति के बीच आने वाले दुष्परिणामों को भी सामान्य करने का साहस करना चाहिये। “सर्वश्रेष्ठ के लिये प्रयत्न कीजिये मगर निकृष्टतम के लिये तैयार रहिये।” अँग्रेजी की यह कहावत बड़ी सार्थक है। हैनरी फोर्ड से एक व्यक्ति ने उनकी सफलता का रहस्य पूछा, तो उन्होंने कहा, “सफलता का सबसे पहला रहस्य है, हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना।’’

किसी को दोषी बताकर अपने को और निराश न करें। परिस्थितियों से समझौता करें और उन्हें अनुकूल बनायें। कुछ रास्ते बन्द हो जाने पर भी कुछ खुले रहते हैं। ऐसा नहीं है कि सारे रास्ते ही बन्द हो जायें। जब आप नयापन खोजेंगे तो आशा की नई किरण फूटने लगेगी। जीवन में प्रतिद्वन्द्व न जगायें, किसी से घृणा न करें, प्रेमपूर्ण व्यवहार रखें। हर्बर्ट स्वूप लिखता है, ‘सफलता का रहस्य तो मैं नहीं बता सकता, मगर असफलताओं का रहस्य जरूर बता सकता हूँ। वह है हर किसी को खुश करने की कोशिश।’ जीवन को आवश्यक कार्यों में व्यक्त रखें और अनावश्यक कार्यों में उलझकर व्यस्त रहने का रोना न रोये। आशावादी बनकर अपने जीवन और जन-जीवन की प्रेरणा श्रोत बनें।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles