अबूअली शफीक (kahani)

January 1981

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अबूअली शफीक इबादत तो बहुत करते, पर रोटी मजदूरी करके ही खाते थे। सन्त को इस तरह मजदूरी करते देखकर एक अमीर को दया आई और उसने बहुत साधन सामने रखकर कहा- लीजिए, इससे गुजारा कीजिए- मजदूरी करके अपनी हेठी मत कराइये।

अबूअली ने कहा- पाँच वजह ऐसी हैं जिनके कारण मैं आपका धन स्वीकार नहीं कर सकता- (1) आपका लालच उठ कर मेरे ऊपर आ लदेगा। (2) मेहनत न करने से मेरा शरीर और मन आलसी होकर अनेक बुराइयों से भर जायेगा। (3) चोर मेरे घर पर भी घात लगावेंगे। (4) आपका कर्ज मुझे कभी न कभी चुकाना पड़ेगा। (5) आपके अहसान से सदा सिर नीचा किये रहना पड़ेगा।


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