पैसे की गरीबी उतनी दुःखदायी नहीं जितनी कि प्रगति के लिए आकुलता की कमी। जो अपनी दुर्दशा से सन्तुष्ट है उनके लिए सुखद अवसर कहाँ से- कैसे और क्यों आवेगा?
-डेलकार नेगी
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