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May 1976

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अपने को प्रगतिशील और द्रुतगामी समझने वाला मनुष्य कितनी ही बातों में सामान्य पशु-पक्षियों से भी गया बीता है। विशेषता तो उसकी भावना एवं विवेकशीलता की ही है, यदि वह भी न हो तो भौतिक दृष्टि से तो वह पिछड़ा हुआ ही माना जायेगा।

तेज दौड़ने की प्रतियोगिता में मनुष्य को फिसड्डी ही ठहराया जा सकता है। जल जीवों में सेलफिश नामक मछली 68 मील प्रति घण्टा की चाल से तैरती है। इसके बाद सोईफिश का नम्बर है उसकी चाल 60 मील है। ये मछलियाँ अपने गलफड़ों से पानी की तेज धार छोड़ती हैं। जिससे उन्हें धक्का लगता है और आगे बढ़ने में सहायता मिलती है। जेट वायुयानों का निर्माण इसी सिद्धांत पर हुआ है वे हवा को पीछे और नीचे धकेलने की विधि अपनाकर ही अपनी चाल बढ़ा सकने में सफल होते हैं।

नभचरों में फ्रिगेट मत्स्यभोजी पक्षी सौ मील प्रति घण्टा की चाल से उड़ता है। इससे भी अधिक चाल वेहरी और वेतसाई चिड़ियों की है वे कभी कभी डेढ़ सौ मील की चाल से भी उड़ती देखी गई हैं। हंस की गति तो 60 मील प्रति घण्टा से अधिक नहीं होती, पर वह 29 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ सकता है।

थलचरों में चीता अग्रणी है उसकी दौड़ 70 मील प्रति घण्टा तक होती है। अमेरिका का प्रोगहार्न और मंगोलिया का चौसिंगा हिरन 60 मील की गति से कुलांचे भरते हैं। पचास मील की चाल से तो घोड़े भी दौड़ लेते हैं। खरगोश और शिकारी कुत्तों की धावन गति 40 मील प्रति घण्टा है।

मनुष्य अधिक से अधिक 20 मील की चाल से दौड़ पाया है सो भी तब जब उसे सिर्फ 100 गज ही दौड़ना हो। इससे आगे तेज दौड़ना हो तब तो उसके फेफड़े ही फूल जायेंगे। इस चाल को तो नेवला भी चुनौती दे सकता है वह 22 मील की चाल से दौड़ता है।

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