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March 1967

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वीरता के साथ विवेक भी

वह वीरता कैसी जिसमें शक्ति के साथ आत्म संयम न हो। वीरता उन्माद नहीं, वह आँधी नहीं है, जो उचित-अनुचित का विचार न करती हो। तुम्हें दूसरे क्षेत्रों में भी ध्यान दौड़ाना चाहिये, केवल शक्ति-बल पर टिकी हुई वीरता बिना पैर की होती है, उसके साथ विवेक का समभाव भी बना रहना चाहिये।

-जयशंकर प्रसाद


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