यह प्रश्न अपने आपसे पूछिये

March 1967

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यह अंक युग-निर्माण की प्रथम पंचवर्षीय योजना के प्रथम वर्षीय पाँच कार्यक्रमों का परिचय कराने के लिए छापा गया है। इसे मात्र पढ़ने भर की सामग्री नहीं समझना वरन् इसे ऐतिहासिक अवसर पर प्रबुद्ध आत्माओं के सामने प्रस्तुत एक चुनौती समझना चाहिए।

इस अंक को प्रत्येक परिजन कम-से-कम दो बार पढ़े और शाँतचित्त से एकाग्रतापूर्वक एकान्त में बैठकर यह निश्चय करे कि इस महान अवसर पर उसका कुछ कर्त्तव्य है या नहीं? यदि आत्मा करे कि युग की पुकार को सुनना और उसके अनुरूप कुछ करना उचित एवं आवश्यक है, तो इस उत्तर को ईश्वर का संदेश मानकर अपना कुछ कर्त्तव्य निर्धारित करना चाहिए। युग की चुनौती को स्वीकार करना चाहिए।

अखण्ड-ज्योति परिवार के प्रत्येक सदस्य के सामने यह पाँच प्रश्न उपस्थित हैं। देश, धर्म और समाज पर संस्कृति की ओर से उसके सम्मुख एक चुनौती प्रस्तुत है। बन पड़े तो इसे स्वीकार करना चाहिए।

1. क्या आपने उच्चस्तरीय उपासना आरंभ करके अपनी आत्मा से प्रेम रूपी परमात्मा की प्रतिष्ठापना आरंभ कर दी? क्या आपने सोते और उठते समय अपनी दिनचर्या में कार्य-पद्धति एवं विधि-व्यवस्था का नियमित निर्धारण क्रम आरंभ कर दिया?

2. भावनात्मक नव-निर्माण के लिये अपने परिवार और परिचितों तक उत्कृष्ट विचारणा का प्रकाश पहुँचाना आरंभ किया या नहीं? इस प्रयोजन के लिये एक घण्टा समय और दस पैसे खर्च करते रहने का साहस किया या नहीं?

3. जून से आरंभ होने वाले त्रिविध प्रशिक्षण की चर्चा अपने प्रभाव-क्षेत्र में प्रारंभ कर दी या नहीं? आपके प्रयत्न से कुछ शिक्षार्थी जा सकने योग्य प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें, इसके लिए आप पूरा-पूरा प्रयत्न कर रहे हैं या नहीं?

4. आपने अपनी जन्म-तिथि मथुरा लिख भेजी क्या, अपना अगला जन्म-दिन मनाने की तैयारी कर रहे हैं क्या? स्थानीय सदस्यों के साथ विचार-विमर्श करके संगठित रूप से इस प्रकार के आयोजन मनाने की योजना बना ली क्या?

5. नव-निर्माण की सर्वांगीण प्रेरणा देने वाले- सस्ते ट्रैक्ट साहित्य को अपने क्षेत्र में व्यापक बनाने की कोई योजना बना रहे हैं क्या? इसके लिए किन्हीं उपयुक्त व्यक्तियों को आपने प्रोत्साहित किया है क्या? क्या आप हिन्दी के अतिरिक्त कोई अन्य भाषा बहुत अच्छी तरह जानते हैं? यदि जानते हैं तो बिना किसी आर्थिक लाभ की आशा किये अनुवाद-कार्य के लिए अपनी सेवाएं देंगे क्या?


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