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April 1965

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परस्वानाँ च हरणं परदाराभिमर्शनम्।

सुहृदामतिशंका च त्रर्यो दोषाः क्षयावहाः॥

दूसरों के धनों का अपहरण, दूसरों की स्त्रियों के साथ अनुचित सम्बन्ध और मित्रों के प्रति अति शंका- ये तीन मनुष्य का नाश कर देते हैं।


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