चारों वेदों का सरल हिन्दी भाष्य

August 1961

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अत्यन्त सुंदर सुसज्जित संस्करण प्रकाशित

वेद ज्ञान और विज्ञान का अनादि भंडार है। सृष्टि के आदि काल में मानवी प्राणी को लौकिक और पारलौकिक सुख-शांति के लिए जो ईश्वरीय मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ, वह बीज रूप से वेदों में सन्निहित है। उस ज्ञान को अपनाकर हम अपने जीवन को सच्चे अर्थों में सफल बना सकते है। वेद हिन्दू धर्म का मूल-भूत धर्मग्रन्थ हैं। भारतीय संस्कृति का उद्गम वेद ही है। वेद मंत्रों में सन्निहित रहस्यों को सुलभ बनाने के लिए उनकी व्याख्या के रूप में उपनिषदों, स्मृतियों, पुराणों एवं अन्य ग्रंथों की रचना की गई है। भारत किसी समय जिस ज्ञान और विज्ञान के कारण सर्वोच्च स्थान पर अवस्थित था, जगद्गुरु, चक्रवर्ती शासक और श्री, समृद्धि का स्वामी बना हुआ था, जिस तत्त्वज्ञान का साक्षात्कार कर ऋषियों ने सब कुछ पाया था और संसार भर में सुख शांति की स्थापना की थी, इस भारतभूमि को ‘स्वर्गादपि गरीयसी’ बनाया था, वह सारी ज्ञान सम्पदा वेदों में सन्निहित है।

खेद की बात है कि पिछला अज्ञानान्धकार युग में हमने बहुत खोया और आज मणि हीन सर्प की भाँति निस्तेज बने अस्त-व्यस्त भटक रहे हैं। इन खोई हुई वस्तुओं में सबसे बहूमूल्य वेद-विद्या है। विदेशी लोग इस वेद-ज्ञान को अपना यहाँ ले गये और उसके आधार पर उन्होंने अपनी प्रगति के लिए बहुत कुछ प्राप्त किया, किन्तु हमारे यहाँ उसकी ओर से उपेक्षा ही हो रही है। इस उपेक्षा के कारण वेद-विद्या धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है और आज वेदों के अध्यात्मपरक एवं विज्ञान परक अर्थों के ज्ञाता ढूँढ़े नहीं मिलते और उनमें सन्निहित महान् रहस्यों के जानने क इच्छुक जिज्ञासुओं को निराश ही रहना पड़ता है।

संसार में कोई भी मुसलमान ऐसा न होगा जिसने कुरान कभी पढ़ा-सुना या देखा न हो। ऐसा ईसाई भी शायद ही कोई हो जिसने बाइबिल के दर्शन तक न किए हों, पर करोड़ों हिन्दू ऐसे हैं, जिन्होंने वेद पढ़ा, सुना तो क्या देखा तक नहीं हैं। अपने धर्म के आदि ग्रन्थ के प्रति हमारी इतनी उपेक्षा निश्चय ही बड़ी चिंताजनक एवं शोचनीय है।

इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए गायत्री तपोभूमि द्वारा चारों वेदों का अत्यन्त सस्ता बढ़िया ग्लेज कागज पर नये टाइप में कपड़े की मजबूत जिल्द में सुसज्जित संस्करण प्रकाशित किया गया है। प्राचीन सम्भाषण के आधार पर परमपूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्यजी के द्वारा यह हिन्दू संकरण सम्पादित हुआ है। मूल वेद मन्त्रों के साथ-साथ सरल हिन्दी में अनुवाद बड़े सुयोग्य ढंग से प्रस्तुत किया गया है जिसे साधारण पढ़े लिखे लोग भी आसानी से समझ सकते है।

ऋग्वेद की तीन जिल्दें हैं प्रत्येक जिल्द का मूल्य ७।७ होने से ऋग्वेद का मूल्य 21/ है। अथर्ववेद की 2 जिल्दें हैं। प्रत्येक का मूल्य 6/6 होने से दोनों का मूल्य 12 है। यजुर्वेद एक जिल्द में पूरा हुआ है मूल्य 6, सामवेद भी एक जिल्द में है मूल्य 5। चारों वेदों का कुल मूल्य 44 होता है। किन्तु अखण्ड ज्योति के ग्राहकों को 35 में ही दिया जाएगा। डाक से मंगाने पर 5 और रेल से मंगाने 2 भाड़ा इसके अतिरिक्त लगेगा। आर्डर के साथ 5 पेशगी भेजना आवश्यक है।


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