बड़े-बड़े अपराधों का आरंभ छोटों-छोटों से होता है। ऐसा कभी नहीं देखा गया है कि भीरु, निर्दोष, मनुष्य एकदम पहले सिरे का दुराचारी बन गया।’
कभी-कभी मनुष्य की यह मूर्खतापूर्ण इच्छा होती है कि जिनको हम स्नेह की दृष्टि से देखते है, उन्हें अन्य लोग भी उसी तरह प्यार करें।’
‘प्रशिक्षित होने की अपेक्षा जन्म न लेना अधिक अच्छा है, क्योंकि अज्ञान ही दुर्गति की जड़ है।’