प्रेम में डर कहाँ? (Kahani)

April 1961

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प्रेम में डर कहाँ?

जहाँ डर रहेगा वहाँ प्रेम का रह सकना संभव नहीं चूहा, बिल्ली, से कैसे प्रेम करेगा? हिरन और शेर की दोस्ती कैसे निभेगी? प्यार में तो निर्भयता आती है। दिन भर हत्या का धन्धा करते रहने वाले कसाई से भी उसके स्त्री बच्चे नहीं डरते। क्योंकि वे जानते है कि जहाँ प्रेम है वहाँ हिंसक और हत्यारे से भी कुछ डर नहीं है। ऋषियों के आश्रमों में सिंह व्याघ्र भी अपना स्वभाव छोड़कर सज्जनता और सहानुभूति का आचरण करते है, क्योंकि वहाँ प्रेम के परमाणु पर्याप्त मात्रा में फैले रहते है।

यदि मुर्गी के बच्चों पर कुत्ता झपटता है तो मुर्गी अपने बच्चों की रक्षा के लिए कुत्ते का मुकाबला करने में अड़ जाती है, फिर चाहे वह असफल ही क्यों न रहे। जंगल में अपने बच्चे पर आक्रमण करने वाले चीते और भेड़ियों से गायें टक्कर लेती है चाहे इस युद्ध में उन्हें अपनी जान ही क्यों न गँवानी पड़े। बच्चों का प्रेम उन्हें मौत के डर से भी छुटकारा दिला देता है। जिसके प्रति सच्चा प्रेम होता है उसके कल्याण के लिए अनेकों ने अपने जीवन उत्सर्ग किये है।

काबा कहाँ नहीं?

नानक एक बार मक्का गये। वहाँ वे सोये हुए थे तो मुसलमानों ने आकर कहा तू कैसा बेअदब है जो काबा की तरफ पैर करके सा रहा है। नानक ने नम्रता पूर्वक कहा मुझे हर दिशा में खुदा का घर दीखता है। जिधर उसका घर न हो वह दिशा मुझे बता दीजिए ताकि मैं उधर ही पैर कर लूँ। इस पर वे धमकाने वाले मुसलमान निरुत्तर हो गये।


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