अद्वैत का अर्थ है निर्भयता
भारतीय संस्कृति के सर्वत्र अद्वैत की ध्वनि गूँज रही है। भारतीय संस्कृति में से ही अद्वैत की मंगलकारी सुगन्ध आ रही है। भारत के उत्तर में जिस प्रकार गौरी शंकर का उच्च शिखर स्थित है उसी प्रकार यहाँ की संस्कृति के पीछे भी उच्च और भव्य अद्वैत-दर्शन है। कैलाश शिखर पर बैठकर ज्ञानमय भगवान शंकर अनादि काल से अद्वैत का डमरू बजा रहे है। शिव के पास ही शक्ति रहेगी, सत्य के पास ही सामर्थ्य रहेगी, प्रेम के पास ही पराक्रम रहेगा अद्वैत का अर्थ है निर्भयता। अद्वैत का संदेश ही इस संसार के सुख सागर का निर्माण कर सकेगा। भारतीय ऋषियों ने ही संसार को अद्वैत का मन्त्र दिया है। इस मन्त्र के बराबर पवित्र अन्य कोई दूसरा नहीं है। संसार में परायापन होने का ही अर्थ है दुःख होना और समभाव होने का ही मतलब है सुख होना। सुख के लिये प्रयत्नशील मानव को अद्वैत का पल्ला पकड़े बिना और कोई पार हो सकने का उपाय नहीं है। -”भारतीय संस्कृति”
आत्मशक्ति और सफलता
आत्मशक्ति की दृढ़ता एवं सबलता सब जगह सफलता देती है। आत्मविश्वास के बिना मनुष्य में स्वावलम्बन की प्रवृत्ति ही नहीं उठती और बिना स्वावलम्बन के वह अपने को उठाने में असमर्थ रहता है। महत्त्वाकाँक्षी व्यक्ति को आत्मसत्ता में सर्वाधिक विश्वास करना चाहिए। उससे यह विश्वास होना चाहिए कि उसका जीवन निरर्थक नहीं है। उसमें कुछ विशेष शक्तियाँ है और तभी ईश्वर ने उसको मानव शरीर दिया हैं वह तुच्छ होता तो मनुष्य का शरीर न पाकर खटमल या झींगुर का शरीर पाता। यदि आँख से देखने पर हमको अपना शरीर मनुष्य जैसा दिखलाई पड़ता
12. सौन्दर्य बढ़ाने
13. पंचतत्वों से सम्पूर्ण रोगी का निवारण
14. उपवास के चमत्कार
15. कब्ज की सरल चिकित्सा
16. स्त्री रोगों की चिकित्सा
17. बाल रोगों की चिकित्सा
18. नेत्र रोगों की प्राकृतिक चिकित्सा
19. घरेलू चिकित्सा विज्ञान
20. सूर्य चिकित्सा विज्ञान
21. प्राण चिकित्सा विज्ञान
22. स्वप्नदोष की चिकित्सा
23. भोग का योग,
24. पुत्र या पुत्री उत्पन्न करने की विधि
25. मन चाही सन्तान
26. वेदों की स्वर्णिम सूक्तियाँ
सरल चिकित्सा विज्ञान-मू. 2
प्रमुख रोगों का रक्तदान, लक्षण, चिकित्सा, पथ्य आदि का एक अनुभवी चिकित्सक द्वारा बड़ी ही सरल रीति से यह संग्रह किया गया है।
स्वास्थ्य, सौंदर्य, दीर्घजीवन ओर
आनन्द की पथ प्रदर्शक पुस्तकें
1. स्वस्थ बनने की विद्या
2. परकाया प्रवेश
3. दीर्घजीवन के रहस्य
4. उन्नति का मूलमंत्र ब्रह्मचर्यं
5. जिन्दगी कैसे जिएँ?
6. आसन ओर प्राणायाम
7. जीव जन्तुओं की भाषा है
8. क्या खायें? क्यों खायें? कैसे खायें?
9. दूध का आश्चर्यजनक शक्ति
10. तुलसी के अमृतोपम गुण
11. हस्तरेखा विज्ञान
12. हमें स्वप्न क्यों दीखते हैं?
13 मरने के बाद हमारा क्या होता है?
14. आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान
15. आकृति पारस ओर कल्पवृक्ष की प्राप्ति
16. धन वान बनने के गुप्त रहस्य
17. मित्र भाव बढ़ाने की कला
18. चिंताओं से छूटने का मार्ग
19. दम्पत्ति जीवन का स्वर्ग
20. जीवन की महान जागरण
21. तुम तुच्छ नहीं-महान हो
22. हमारी पारिवारिक समस्यायें कैसे सुलझें?
23. हम वक्ता कैसे बनें?
24. लेखक बनने की कला
25. हिन्दू धर्म का प्रधान आधार-यज्ञोपवीत
26. मनुष्य शरीर की बिजली के चमत्कार
कल्प चिकित्सा-मू.
दूध, कल्प, छाछ कल्प, फल कल्प, शाक आदि के द्वारा शरीर में संचित पुराने रोगों की जड़ काट देने वाली चिकित्सा पद्धति का इस ग्रन्थ में बड़ा ही खोजपूर्ण वर्णन है।
श्री, समृद्धि, सफलता और
सिद्धिदायक अलभ्य साहित्य
1. मैं क्या हूँ?
2. बिना औषधि के कायाकल्प
3. मैस्मरेजम की अनुभवपूर्ण शिक्षा
4. स्वर योग से दिव्य ज्ञान
5. ज्ञानयोग कर्मयोग भक्तियोग
6. वशीकरण की सच्ची सिद्धि
7. जीव जन्तुओं की भाषा
8. ईश्वर कौन है? कहाँ है? कैसा?
9. क्या धर्म? क्या अधर्म?
10. गृहस्थ योग
11. यौवन चिरस्थायी कैसे हो?
12. सौन्दर्य बढ़ाने के ठोस उपाय
13. पंचतत्वों से सम्पूर्ण रोगों का निवारण
14. उपवास के चमत्कार
15. कब्ज की सरल चिकित्सा
16. स्त्री रोगों की चिकित्सा
17. बाल रोगों की चिकित्सा
18. नेत्र रोगों की प्राकृतिक चिकित्सा
19. घरेलू चिकित्सा विज्ञान
20. सूर्य चिकित्सा विज्ञान
21. प्राण चिकित्सा विज्ञान
22. स्वप्नदोष की चिकित्सा
23. भोग का योग
24. पुत्र की पुत्री उत्पन्न करने की विधि
25. मन चाही सन्तान
26. वेदों की स्वर्णिम सूक्तियाँ
सरल चिकित्सा विज्ञान-मू. 2)
प्रमुख रोगों का निदान, लक्षण, चिकित्सा, पथ आदि का एक अनुभवी चिकित्सक द्वारा बड़ी ही सरल रीति से संग्रह किया गया है।