जिसको छिछले तालाब का स्वच्छ पानी पीना है उसे इसके हाथ से पानी पीना होगा। यदि पानी कुछ भी हिला तो नीचे का मैल ऊपर चला आवेगा और सब पानी गन्दा हो जायगा। उसी प्रकार यदि तुम पवित्र रहना चाहते हो तो दृढ़ विश्वास के साथ भक्ति का अभ्यास क्रमशः बढ़ाते जाओ, व्यर्थ के आध्यात्मिक विवाद में अपने समय को नष्ट न करो, नहीं तो नाना प्रकार की शंकाओं से तुम्हारा मस्तिष्क गन्दा हो जायगा।
सच्चा शूरमा वह है जो प्रलोभनों के बीच रहता हुआ मन को वश में करके पूर्ण ज्ञान प्राप्त करता है।
-रामकृष्ण परमहंस