गायत्री तपोभूमि -
गायत्री तपोभूमि का कार्य यथावत बड़े शान्तिपूर्ण एवं सुव्यवस्थित ढंग से चल रहा है। चारों वेदों का परायण यज्ञ यथाक्रम चलता है। इस मास ऋग्वेद जारी है। साँस्कृतिक विद्यालय का शिक्षण का क्रम यथावत् है। एक भजनोपदेशक जो शरीर से स्वस्थ एवं व्यायाम में रुचि रखने वाला हो तपोभूमि में संगीत, प्रवचन, व्यायाम आदि सिखाने के लिए नियुक्त करना है। तथा एक संस्कृत तथा आयुर्वेद जानने वाले सुधरी विचारधारा के पण्डित की आवश्यकता है, जो सज्जन यह कार्य करना चाहे, अपनी योग्यता तथा परिचय लिखकर वेतन के सम्बन्ध में पत्र व्यवहार कर लें।
साँस्कृतिक शिक्षा के लिए अनेक ऐसी महिलाओं के पत्र आ रहे हैं जो शेष जीवन में ब्रह्मचारिणी रह कर विद्याध्ययन, साधना एवं धर्म सेवा के पुनीत कार्य में लगाना चाहती है। इनके संबंध में अभी कुछ निर्णय नहीं किया गया है, पर ऐसा सोचा जा रहा है कि- श्रीमती भगवती देवी (माता जी) की संरक्षता में ऐसा महिला विद्यालय पुरुषों के स्थान से भिन्न व्यवस्था में रहें। महिलाओं और पुरुषों का कार्य क्षेत्र तथा शिक्षण पूर्णतया पृथक है, इसलिए पृथक व्यवस्था समुचित रूप से बन सकी तो इस दिशा में कदम बढ़ाया जायेगा। जिस प्रकार तपोभूमि में प्रायः सभी विद्यार्थियों एवं साधकों की भोजन-वस्त्र व्यवस्था निःशुल्क रहती है, उसी प्रकार इन महिला धर्म सेविकाओं को भी रखने का विचार है। जो महिलाएँ इस प्रकार की शिक्षा के लिए इच्छुक हों अपने नाम नोट करा दें ताकि समय आने पर उन्हें प्राथमिकता दी जा सके।