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May 1954

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सद्विचार

-जो स्वयं का ही सोचा करता है वह अपना शत्रु है और शत्रुओं से घिरा रहता है। जो अपने को भुला देता है वह अपना रक्षक है और मित्रों से घिरा रहता है।

-प्रसिद्धि वीरोचित पराक्रम की सुगन्ध है।

-हमारा जीवन एक छोटी पुस्तक सा है जिसे केवल विनोद के लिए कोई महान व्यक्ति पढ़ रहा हो।

-कुलीनता का सबसे सच्चा चिह्न दया है।

-क्या तुम जीवन से प्रेम करते हो? तो फिर समय को व्यर्थ नष्ट न होने दो क्योंकि वही तो जीवन तत्व है।


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