अमृत बिन्दु

December 1954

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-कच्चे सूत के पलँग पर बैठने वाला मनुष्य जैसे नीचे गिर जाता है, उसी प्रकार विषय सेवन के आश्रय में जाने वाला नीचे ही गिरता है अर्थात् उसकी अधोगति होती है।

-किसी के शरीर का नाश करना ही हिंसा नहीं है, किन्तु द्वेष-बुद्धि से किसी को मानसिक दुःख देना भी हिंसा है।

-मर्यादा का उल्लंघन करने वाले भय, शोक और चिन्ता में रात-दिन अपने जीवन को गलाते हैं।

-आज का दिन घूमने में खो दो, कल भी यही बात होगी, और फिर अधिक सुस्ती आएगी।

-चार्ल्स किंगस्ले कहा करता था कि जब मैं किसी काम में लगता हूँ, उस समय संसार की और कोई बात मेरे सामने नहीं रहती, यही उद्योगी पुरुष बनने की कुँजी है।

-कोई व्यक्ति जब तक किसी चीज के लिए मेहनत नहीं करता, तब तक वह उसे प्राप्त नहीं होती।

-उद्योगी पुरुष अपना मार्ग ढूँढ़ता या उसे स्वयं बना लेता है।

-जिस बात को तुम कर सकते हो अथवा जिस बात का तुम स्वप्न देख सकते हो उसे शुरू कर दो।

-जीवन की प्रारम्भिक आपत्तियां बहुधा आशीर्वाद होती हैं। जीती हुई कठिनाइयाँ शिक्षा ही नहीं देतीं, बल्कि वे भविष्य के प्रयत्नों में हमें साहसी भी बनाती हैं।

-क्या तुम्हें जीवन से प्रेम है? तब, समय को व्यर्थ नष्ट मत करो, क्योंकि जीवन समय से ही बना है।

-शेक्सपीयर का कहना है कि मैंने समय को नष्ट किया और अब समय मुझे नष्ट कर रहा है।

-ईश्वर ने जो काम तुम्हारे लिए बनाया है, उसे अपनी सारी शक्ति लगाकर पूरा करने के लिए तुम बँधे हुए हो।

-यदि जीवन में बुद्धिमानी की कोई बात है तो एकाग्रता है, और यदि कोई खराब बात है तो वह है अपनी शक्ति को बखेर देना।

-शिष्टाचार द्वारा कोई भी मनुष्य संसार में अपनी उन्नति कर सकता है। जीवन का तीन चौथाई आधार अच्छा चाल-चलन है।

-तुम्हें जो कुछ चाहिए उसे अपनी मुस्कराहट से प्राप्त करो न कि तलवार के जोर से।


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