डर को, आप चाहे जितनी कोशिश करें, कोशिश से नहीं निकाल सकते, इसलिए यह जोर आजमाई बंद कीजिए। अपने डर के विचार से कहिए “मैं तुम से नहीं डरता।” बस आपका हृदय साहस से भर जायगा और डर का कोई मूल्य न रहेगा।