प्रेम-वन्दना (Kavita)

April 1953

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प्रेम दुनिया में बड़ा है।

प्रेम का वरदान पाकर।

आज अपना सर उठाकर॥

देवताओं की सभा में आदमी जाकर खड़ा है!

प्रेम दुनिया में बड़ा है!!

प्रेम है रस जिन्दगी में!

प्रेम प्रभु की बन्दगी में!!

प्रेम से मानव चरण में स्वर्ग का वैभव पड़ा है!

प्रेम दुनिया में बड़ा है!!

प्रेम में अविराम क्षमता!

प्रेम से अमृत बरसता!!

इसलिये इंसानियत के जय मुकुट में वह जड़ा है!

प्रेम दुनिया में बड़ा है!!


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