-जो पुरुष धर्म का नाश करता है धर्म उसका नाश कर देता है। और जो धर्म की रक्षा करता है उसकी धर्म भी रक्षा करता है। इसलिए मारा हुआ धर्म कभी हमें न मार डाले इस भय से धर्म का हनन (त्याग) कभी न करना चाहिए।
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मनुष्य को चाहिए कि झूठ से कामना सिद्ध न करे। निन्दा, स्तुति, तथा भय से भी झूठ न बोलें और न लोभ वश। चाहे राज्य भी मिलता हो झूठ, अधर्म को न अपनावें। भोजन, जीविका बिना भी चाहे प्राण जाते हों तो भी धर्म का त्याग न करें क्योंकि जीव और धर्म नित्य हैं। वे मनुष्य धन्य हैं जो धर्म को किसी भी भाव नहीं बेचते।