VigyapanSuchana

August 1952

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—इन्द्रियों के आनन्द से कहीं अधिक आनन्द मन के द्वारा प्राप्त होता है जाँच करके जाना गया है कि मनुष्य जब किन्हीं विचारों में मग्न होता है उस समय पास का भी शब्द सुनाई नहीं देता और नेत्रों के आगे पड़ा हुआ पदार्थ भी दिखाई नहीं देता।

गायत्री चर्चा-


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