-यदि तुमने इसी जन्म में ईश्वर को जान लिया तब तो ठीक है अन्यथा महाविनाश और हानि है। प्राणी मात्र में जो उसी ब्रह्म को पहचानते हैं नहीं बुद्धिमान पुरुष इस शरीर को छोड़ कर अमृतत्व प्राप्त करते हैं।
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-जिसने दुराचरण को सदा के लिये नहीं छोड़ा, जिसकी इन्द्रियाँ और मन शान्त नहीं। वह मनुष्य केवल पुस्तक ज्ञान से प्रभु को प्राप्त नहीं कर सकता। -कठोपनिषद्