जीवन जागृति की जय बोल

August 1951

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जिसने तुमको किया महान,

देकर लक्ष्य प्राप्ति का ज्ञान,

प्राची को दे दीप्य विहान,

जिसने पुलकित किये मिलिंद, कलियों में मधु-मस्ती घोल!

जीवन जागृति की जय बोल!

चरणों में भर करके शक्ति,

प्राणों में भर कर अनुरक्ति,

अधरों को देकर अभिव्यक्ति,

अस्थिर श्वासों का अवसाद अक्षरता को गया टटोल!

जीवन जागृति की जय बोल!

सीमायें हो गईं मलीन,

व्योम हुआ पंखों में लीन,

नव आशा, उत्साह नवीन,

फिर बोलो, क्यों करें विहंग, डाली या नीड़ों का मोल!

जीवन जागृति की जय बोल!

(श्रीमती विद्यावती मिश्र)


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