मन रूपी पखेरू तभी तक विषय वासना के आकाश में उड़ता है, जब तक कि वह शनि रूपी बाज की झपेट में नहीं आता।
-महात्मा कबीर
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लोटे में नीचे छेद होने से सभी जल गिर पड़ता है, इसी प्रकार साधक के मन में कामनाएं होने पर साधन का फल चला जाता है।
-रामकृष्ण परमहंस