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November 1950

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जल में नाव रहे तो कोई बात नहीं पर नाव में जल नहीं रहना चाहिए। साधक संसार में रहे तो कोई हानि नहीं परन्तु साधक के भीतर संसार नहीं रहना चाहिए।

-रामकृष्ण परमहंस

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किसी चीज से भी न चिढ़ो काम उसी निर्लिप्त भाव से करो जिस तरह वैद्य लोग अपने रोगियों की चिकित्सा करते हैं और रोग का अपने पास नहीं फटकने देते। सब उलझनों से मुक्त अथवा दृष्टा साक्षी की भावना से काम करो।

-स्वामी रामतीर्थ

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बाहरी मदद पर कभी भरोसा मत करो, केवल अपने पर, अपने अन्तरात्मा पर भरोसा करो, इसी की आवश्यकता है।

-स्वामी रामतीर्थ


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