अकेला

June 1949

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कौन है किसका यहाँ पर, हैं सभी आते अकेले।

कौन किसका साथ देता, हैं सभी जाते अकेले॥

मोह के बन्धन न पड़ तू, कौन अपना या पराया।

कर भला फिर भूल जग को, छोड़ दे सब मोह-माया॥

जग तुझे समझे न समझे, कर नहीं परवाह इसकी।

चार दिन की वाहवाही, कर नहीं तू चाह इसकी॥

मस्त रह! बस मस्त रह! अपनी फकीरी शान में तू।

यश-अयश निन्दा-प्रशंसा रख नहीं कुछ ध्यान में तू॥

सत्य प्रभु का ध्यान रख बस छोड़ दे सारी निराशा।

क्या अकेला, क्या दुकेला, साथ है जब अमर-आशा॥

दस कदम के साथियों का योग और वियोग क्या रे?

भक्त तू भगवान का फिर व्यर्थ चिंता रोग क्या रे?

देख तू सत्येश-मन्दिर विश्व का कल्याण जिसमें।

विश्व की सेवा जहाँ है और तेरा त्राण जिसमें॥

उस तरफ ही बढ़ वहीं है प्राण का आधार तेरा।

तू अकेला है यहाँ पर, है वहाँ संसार तेरा॥


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