प्रतिष्ठा हीन जीवन बिना नींव का घर है। प्रतिज्ञा के बल पर ही यह संसार टिका हुआ है। प्रतिज्ञा न लेने का अर्थ अनिश्चित या डाँवाडोल रहना है।
-महात्मा गाँधी