क्या आपने यह पुस्तकें अभी तक नहीं पढ़ीं?

November 1948

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

गायत्री के पाँच ग्रन्थों पर लोक मत देखिए!

गत मास की अखण्ड ज्योति छपी सूचना के अनुसार मैंने आपके यहाँ से गायत्री संबंधी पाँचों पुस्तकें मंगाई थीं। गायत्री मंत्र के संबन्ध में भारतवर्ष में किसी ने भी इतनी श्रम साध्य खोज नहीं की यह दावे के साथ कहा जा सकता। इन पाँचों पुस्तकों का एक सैट मेरे नाम वी0पी0 से भेज दें, स्थानीय पुस्तकालय को दान दूँगा

-मिठ्ठनलाल अग्रवाल, गुलवर्गा।

गायत्री विज्ञान की पाँचों पुस्तकें पढ़ीं। हजारों ग्रन्थों को मथकर उनका सार उपस्थित करना यह आप जैसे विद्यासागर का ही काम है। गायत्री मंत्र भारतीय धर्म की आत्मा है, उसका रहस्य और महत्व सर्व-साधारण पर प्रकट करने के लिए आपने जो असाधारण श्रम किया है, इस से भारतीय जनता का बड़ा हित होगा।

-गोपी नाथ श्रीवास्तव, सरगुजा स्टेट

गायत्री मंत्र पर मेरी भारी आस्था है। मुद्दतों से इस संबंध में अच्छे साहित्य की तलाश में था पर छोटी-छोटी पोथियों के अतिरिक्त कोई बड़ा ग्रन्थ उपलब्ध न होता था। आपके इन पाँच ग्रन्थों को पाकर मुझे जितना आनन्द हुआ, वर्णन नहीं हो सकता। गायत्री संबंधी प्रत्येक रहस्य को बड़े प्रभाव पूर्ण, तार्किक और विज्ञान सम्मत ढंग से आपने समझाया है। भगवान आपको दीर्घजीवी बनावें जिससे ऐसे ही अनेक ग्रन्थ रत्नों का निर्माण हो सके।

-न0न॰ पिल्लई त्रिचनापली।

कृपया बारह सैट (60 पुस्तकें) गायत्री सम्बन्धी रेलवे पार्सल से भेज दें और विल्टी वी0पी0 कर दें। हमें यह पुस्तकें मकर संक्रान्ति के अवसर पर ब्राह्मणों को दान करनी हैं।

-जाहरमल जवाहरमल मोदानी, बम्बई।

आपकी गायत्री सम्बन्धी पुस्तकें मैंने अपने एक मित्र के पास देखी हैं, इन्हें थोड़ा सा ही देखा पढ़ा, तो ही बड़ा आनन्द हुआ। यह पुस्तकें अपने कुछ आध्यात्मिक मित्रों को भी भिजवाना चाहता हूँ। एक सैट मेरे लिए तथा दस सैट नीचे लिखे पते पर भेज दें। मनीआर्डर भेज रहा हूँ।

-अम्बाप्रसाद माहेश्वरी, जैसलमेर।

साधना मार्ग पर चलने वालों का मार्ग बड़ा कठिन है उन्हें ऐसे सद्गुरुओं की प्राप्ति नहीं हो पाती जिनके द्वारा साधना का सीधा सच्चा और अनुभव में आया हुआ रास्ता जान सकें। आपकी इन गायत्री विद्या की पुस्तकों ने उस कठिनाई को दूर कर दिया हैं योग के समस्त रहस्य इन पुस्तकों में मौजूद है इसमें जो साधनाएं दी गई हैं वे इतनी व्यापक हैं कि किसी भी बड़ी से बड़ी सिद्धि को प्राप्त करने के लिए और किसी शिक्षा की आवश्यकता न पड़ेगी। इन पुस्तकों की प्रशंसा करूं या आपकी कुछ कहते नहीं बनता।

-निर्मलानंद संन्यासी, देवप्रयाग।

पाँचों पुस्तकें पढ़ी, इन्हें योग और अध्यात्म विद्या का विश्व कोष कहना चाहिए। मनुष्य जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए जिस ज्ञान की आवश्यकता है वह इस में पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। धर्म, नीति, दर्शन और अध्यात्म कोई तथ्य ऐसा नहीं बचा जिसकी चर्चा इन पुस्तकों में न हुई हो। इन्हें आपके अगाध ज्ञान का उज्ज्वल चित्र ही कहना चाहिए।

-पाण्डुरंग विक्रमजी दर्शनतीर्थ, नडियाद।

(1) गायत्री विज्ञान (2) गायत्री रहस्य (3) गायत्री के अनुभव (4) गायत्री तंत्र (5) गायत्री योग, यह पाँच पुस्तकें गत मास ही छपी हैं। प्रत्येक पुस्तक का मूल्य दो दो रुपया है पाँचों एक साथ लेने से डाक खर्च माफ।

- ‘अखण्ड ज्योति’ कार्यालय, मथुरा।

----***----


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118