‘अखण्ड ज्योति’ का अमूल्य ‘स्वास्थ्य अंक’ 1 जनवरी सन 1949 का प्रकाशित होगा

November 1948

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स्वास्थ्य का महत्व समझने वालों के लिए यह पारसमणि से कम मूल्यवान नहीं शास्त्रों ने धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का मूल आरोग्य को माना है। जिसका स्वास्थ्य ठीक है वही धर्म कर सकता है, वही धन कमा सकता है, वही विषय भोगों का आनंद ले सकता है और वही परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। जो मनुष्य अस्वस्थता ग्रस्त है, बीमारी से परेशान है, निर्बल दुर्बल हो रहा है उसके लिए अपने शरीर को चलाना ही एक पहाड़ को उठाने के बराबर श्रम साध्य है वह बेचारा अन्य पुरुषार्थ के जीवन की कोई विभूति कैसे प्राप्त हो सकेगी देखा जाता है कि अस्वस्थ मनुष्यों का जीवन प्रायः निष्फल ही जाता है, वे किसी प्रकार अपनी साँसें तो पूरी कर लेते हैं पर उनके लिए यह कठिन है कि कोई महत्वपूर्ण कार्य करके अपने को प्रकाशित करें या सुख शान्तिमय जीवन बितावें ।

जीवन की अन्य सब आवश्यकताओं में स्वस्थ रहने की आवश्यकता का स्थान सर्वोपरि है। परन्तु हम देखते हैं कि आज अधिकाँश व्यक्तियों का स्वास्थ्य बुरी तरह बिगड़ रहा है। हड्डी की ठठरी पर चमड़ी का खोल लपेटे हुए मानव प्राणी चलते फिरते दिखाई पड़ते हैं पर उनकी भीतर स्थिति बिलकुल खोखली हो रही है। भीतर ही भीतर कितने ही घुन लग कर उनकी जीवनी शक्ति को चाटे जा रहे हैं। आये दिन नये नये किस्म के रोग उन्हें घेरे रहते हैं। एक से छुटकारा नहीं मिल पाता कि दूसरा उन्हें धर दबोचता है। बीमारी के एक छोटे धक्के से उठकर सँभलने में महीनों लग जाते हैं। इंद्रियां असमय में ही अपना काम छोड़ देती हैं, अकालमृत्यु का दानव सिर पर नंगी तलवार लिये घूमता रहता है। ऐसे व्यक्तियों के लिए धन की नहीं, स्कूल कालेजों की पढ़ाई की नहीं, ऐश आराम की नहीं, ख्याति वैभव की नहीं, सबसे अधिक आवश्यकता आरोग्य प्राप्त करने की है।

इस आरोग्य संपदा से पाठकों को सम्पन्न बनाने के लिए, बीमारियों के बन्धन से छुड़ाने के लिए, स्वास्थ्य को सुदृढ़ और चिरस्थायी बनाने के लिए “अखण्ड ज्योति” ने एक महत्वपूर्ण प्रयास करने का निश्चय किया है। वह निश्चय है- इसी जनवरी में स्वास्थ्य अंक का प्रकाशन। इस अंक के सम्पादक होंगे स्वास्थ्य विद्या के आचार्य प्रो0 रामचरण महेन्द्र, एम0ए0,डीलिट, पी0एच0डी0।

इस अंक में कोई ऐसी बात छूटने न पावेगी जो स्वास्थ्य की प्राप्ति और सुरक्षा के लिए आवश्यक है। कमजोरी और बीमारी की ऐसी विवेचना की जावेगी जिससे यह भली प्रकार समझ में आ जावेगा कि अस्वस्थता के वास्तविक कारण क्या हैं। साथ ही स्वस्थ रहने के विज्ञान सम्मत नियमों को नये दृष्टि कोण से उपस्थित किया जायेगा बीमारियों की सर्व सुलभ प्राकृतिक एवं योग शास्त्र सम्मत ऐसी चिकित्सा विधियाँ बताई जावेंगी जिनके द्वारा हर प्रकार के रोगों से छुटकारा पाकर स्वस्थ जीवन बिताना नितान्त सरल और संभव होगा।

व्यवस्थापक ‘अखण्ड ज्योति’ मथुरा

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