भारत की महान जिम्मेदारी

October 1943

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(योगी अरविन्द घोष)

आधुनिक समय का सबसे बड़ा ईश्वरीय कार्य यह है कि वह कुछ पूर्ण योगी मनुष्यों को पैदा कर रहे हैं। इस समय संसार का भविष्य भारतवर्ष के उन्हीं योगियों के ऊपर निर्भर है। यद्यपि यहाँ काम करने वाले मनुष्य बहुत से हैं पर भारत के भविष्य के काम के लिए पूर्ण योगी पुरुषों की आवश्यकता है। क्योंकि संसार के जिस विराट कार्य का भार भारत पर पड़ने वाला है, उसका भार पूर्ण योगी पुरुषों के बिना, साधारण बुद्धिजीवी या हृदयजीवी मनुष्य चाहे वे कितने ही बड़े नेता अथवा कार्यकर्ता क्यों न हों- नहीं सँभाल सकेंगे और न उनका संभालना किसी प्रकार संभव ही है।

भविष्य में भारत को जिस विपुल विराट कर्म का भार अपने ऊपर लेकर खड़ा होना पड़ेगा, उसी की सूचना स्वरूप सारे संसार में एक विचित्र प्रकाश का होना आरम्भ हो गया है। आगामी तीस चालीस वर्ष के भीतर दुनिया में एक विचित्र परिवर्तन होगा। सारी बातों में उलट पलट हो जायेगा, उसके बाद जो नवीन जगत तैयार होगा उसमें भारत की सभ्यता ही संसार की सभ्यता होगी। भावी भारत का काम केवल भारत के लिए नहीं है, बल्कि समूचे संसार के लिए है, अतएव भारत को उन्हीं पूर्ण योगी मनुष्यों की तैयारी में लग जाना चाहिए, जो इतने गुरु-तर भार का सम्भार करने में समर्थ होंगे। यह काम नीरव मातृ-साधना में प्रारम्भ भी हो गया है, योगियों के लिए सब कुछ सम्भव है। शिक्षा, समाज, राजनीति, शिल्प, वाणिज्य आदि सभी क्षेत्रों में योगियों की अपूर्व प्रतिभा एक विचित्र संसार तैयार कर सकती है यह निश्चय है।


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