जैसे कि काष्ठ का पैदा हुआ कीड़ा काठ ही को नष्ट कर देता है, उसी तरह अधर्म करने वाले को अधर्म ही नष्ट-भ्रष्ट करके नरक में गेर देता है।
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बुद्धिमान किसी से अपने कष्टों को बैठकर नहीं रोते हैं। वे तो अपने दुखों का सामना करते हुए उनके निवारण के लिये कठोर परिश्रम करते हैं।
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सत्य और निडरता दोनों का साथ है, सच्चा आदमी हमेशा निर्भय रहता है।