ईश्वर का स्वरूप

October 1943

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(स्वामी रामतीर्थ)

यदि बैल एकत्र जमा होकर धार्मिक महासभा करें तो ईश्वर का वे क्या लक्षण करेंगे? वे ईश्वर को एक महान प्रतापी बैल बतावेंगे या वर्णन करेंगे कि जिसके डर से किसी भी दूसरे बैल के प्राण छूट जायेंगे। यदि सिंह अपनी धार्मिक महासभा करें, तो उनकी ईश्वर की कल्पना एक सबसे बड़ा और सबसे बलवान सिंह होगी। क्या अपनी योग्यता से परे की किसी चीज की धारणा तुम कर सकते हो? क्या तुम अपने आप से बाहर कूद सकते हो? सिंहों को निर्णय के लिये बैठने और ईश्वर पर विचार आरम्भ करने दो। वे उसे भीम काय, दारुण सिंह बना देंगे। इसी तरह यदि डरे हुए लोग निर्णय के लिये बैठें और ईश्वर का विचार करने लगें तो वे लाचार होकर उसे महान दास-स्वामी ही क्या महान मालिक, भयानक हाकिम मानेंगे। इस प्रकार यहूदियों ने स्वभावतः परमेश्वर को भीमकाय प्रतापी शासक, महान स्वामी चित्रित किया है।

अब समय है कि सारा संसार साहसपूर्वक सत्य के इस फुफकारते हुए सर्प को उठाकर पकड़ ले। पूर्ण सत्य तुम्हारे पास आता है, और तुम से कहता है कि “तुम परमेश्वर हो,” परमेश्वर तुमसे पृथक नहीं है परमेश्वर इस स्वर्ग वा उस नर्क में नहीं है बल्कि तुम्हारे अपने आप अर्थात् निज स्वरूप में है।” यहाँ इस भावना के अनुभव में तुम्हें पूर्ण-स्वतन्त्रता का लाभ है।


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