एक राजा ने बड़े पुत्र को युवराज बनाने की अपेक्षा अधिक शीलवान को नियुक्त करने की प्रथा आरम्भ की और उसके लिए परीक्षा रखी।
पाँच राजकुमारों के लिए भोजन परोसे गये। जैसे ही वे थाली पर हाथ डालने वाले थे कि चार शिकारी कुत्ते उन पर छोड़ दिये गये। चार राजकुमार तो घबराकर भाग खड़े हुए, पर सबसे छोटा यथास्थान बैठा रहा। उसने चार भगोड़े राजकुमारों के थान कुत्तों के सामने सरका दिये। वे भी खाते रहे और छोटे राजकुमार ने भी पेट भर लिया।
निरीक्षक सबकी कार्यविधि देखते रहे। छोटे ने कहा- “कुत्ते उसे काटते हैं जो अकेले खाता है। बाँटकर खाने वाले को कोई जख्म नहीं उठाना पड़ता।”
इस बुद्धिमानी पर सभी प्रसन्न हुए और उसे ही उत्तराधिकारी चुना।